जनजातीय चुनौती और कलीसिया का प्रत्युत्तर भारत में समाज – सांस्कृतिक और धार्मिक चुनौतियों के लिये समय पर एक प्रत्युत्तर है । यह पुस्तक उन आदिवासियों के उद्दश्य को बल देगा जिनमें बड़े पैमाने पर विकास परियोजना पर पाबंदी के कारण उनके बचाव पर प्रश्न चिन्ह लग चुका है । और यह खासकर झारखण्ड प्रांत के उत्तर मध्य क्षेत्र में है । मेरी कामना है कि यह पुस्तक भारत में जनजातीय समूहों के बारे में जानकारी व चिंता की सही योगदान प्रदान करेगी , और वास्तविक छाप छोड़ेगी ।
जनजातीय चुनौती और कलीसिया का प्रत्युत्तर
₹150.00
जनजातियों की समस्यायें और कलीसिया से संभावित प्रत्युत्तर
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